हिन्दी पत्रिका ‘चेतना’ के लिए मौलिक व अप्रकाशित रचनाओं का आमंत्रण।
हिन्दी पत्रिका ‘चेतना’ के लिए मौलिक व अप्रकाशित रचनाओं का आमंत्रण। पिछली अधसदी और खासकर बीते तीन दशकों में सामजिकताओं के अनेक, कुछ प्रत्याशित और कुछ सर्वथा अप्रत्याशित, संस्करणों का जन्म और विकास भारत में हुआ है। इस दौर नेआदिवासी और दलित चेतना का उद्भव देखा है तो मध्य वर्ग का अपूर्व विस्तार और विराट स्वप्नभी। हिन्दू सांस्कृतिक राष्ट्र का पुनर्विन्यास नेहरू युग के अवसान …
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