पर्यटकों के लिए

वाइसरीगल लॉज जिसे वर्तमान में भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के नाम से जाना जाता है, शिमला में एक सांस्कृतिक विरासत है। आज भी यह भवन ब्रिटिशकाल में निर्मित शिमला स्थित अन्य भवनों की तुलना में बड़ा और अद्भुत सौंदर्य से भरपूर है। स्कॉटिश शैली में निर्मित इस भवन का निर्माण तत्कालीन वाइसराय लॉर्ड डफरिन के कार्यकाल (1884-1888) में किया गया था। देश की स्वतंत्रता प्राप्ति तक इस भवन का प्रयोग वाइसरीगल लॉज के रूप होता रहा और भारत सरकार के अधिग्रहण में आने के पश्चात राष्ट्रपति निवास बन गया। 1965 में यह भवन शिक्षा मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में आ गया, और मंत्रालय ने यहां भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की स्थापना की। 1888 से 1947 तक यहां साम्राज्यवादी सरकार की राजधानी रही। भारत विभाजन से पहले यहां कई महत्त्वपूर्ण सम्मेलन और बैठकें हुईं जिनसे स्वतंत्रता प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ। 1945 में शिमला सम्मेलन और 1946 में शिमला कैबिनेट मिशन ऐतिहासिक बैठकें उल्लेखनीय हैं। भवन का कुछ भाग आमजनों और पर्यटकों के लिए खुला है। सभी से अनुरोध है कि अपनी यात्रा को यादगार बनाने के लिए कृपया निम्नलिखित निर्देशों की अनुपालना करें-

अवस्थिति

यह भवन शिमला से लगभग 3.5 किलोमीटर की दूरी पर रिज मैदान के पश्चिमी छोर पर स्थित है। मुख्य प्रवेश द्वार के साथ लगती पार्किंग से लगभग 300 मीटर की लगातार चढ़ाई के बाद ऑब्जर्वेटरी हिल के शीर्ष पर यह भवन शोभामन है। 10/- रुपये प्रति वाहन के हिसाब से मामूली शुल्क देकर कर आप मुख्य भवन तक वाहन ले जा सकते हैं लेकिन जगह की कमी के कारण वहां वाहन पार्क करने की अनुमति नहीं है। इसलिए आपको/आपके ड्राइवर को वाहन को मुख्य पार्किंग स्थल पर वापस ले जाना होगा। टुअर समाप्त होने पर आप अपने ड्राइवर को फोन कर वापसी के लिए गाड़ी बुला सकते हैं या आप पहाड़ी से नीचे पार्किंग स्थल तक जाने का विकल्प चुन सकते हैं।

संस्थान के भीतर का दौरा-

· संस्थान परिसर में कृपया परस्पर दूरी बनाए रखें।

· बिना मास्क के प्रवेश वर्जित है।

· संस्थान सुबह 9:00 बजे से 4:50 बजे तक (राष्ट्रीय अवकाश तथा सोमवार को बंद) पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

· पर्यटकों को भवन का ऐतिहासिक महत्व समझाने के लिए गाइडिड टूअर आयोजित किए जाते हैं। भवन के अंदर गाइडिड टुअर के लिए विभिन्न स्लाट में टिकट दिए जाते हैं। ये टिकट ’पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर जारी किए जाते हैं ।

· पहला गाइडिड टुअर आम तौर पर सुबह 10:00 बजे शुरू होता है और आखिरी टुअर 4:50 बजे आयोजित किया जाता है। टिकट में अंकित समय पर टुअर में शामिल होने में एक बार चूक हो जाने पर किसी भी दशा में उसे अगले टुअर में समायोजित नहीं किया जाएगा।

· एक टुअर ग्रुप में अधिकतम 20 व्यक्तियों को अनुमति दी जाती है।

· सभी टुअर पेशेवर/अनुभवी गाइड द्वारा आयोजित किए जाते हैं, जिन्हें भवन की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के बारे में पूरी जानकारी है।

· सभी टुअर हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में आयोजित किए जाते हैं।

प्रवेश शुल्क

भारतीय नागरिक 200/-रुपए (प्रत्येक)
बच्चे (5-12 वर्ष) 100/- रुपए (प्रत्येक)
वरिष्ठ नागरिक (भारतीय) 100/- रुपए (प्रत्येक)
विदेशी नागरिक (5 वर्ष से अधिक उम्र) 500/- रुपए (प्रत्येक)
विदेशी नागरिक (केवल उद्यान में प्रवेश के लिए) 50/- रुपए (प्रत्येक)
भारतीय नागरिक (केवल उद्यान में प्रवेश के लिए) 30/- रुपए (प्रत्येक)
दिव्यांग 100 /- रुपए (प्रत्येक)
विशेष टुअर 1000/- रुपए (प्रत्येक)

एक बार खरीदा गया टिकट न तो वापिस होगा और न ही उसे अगले टुअर में समायोजित किया जाएगा।

आपका गाइड

· आपके टुअर के लिए गाइड बहुत ही महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वह भवन, उसके इतिहास और यहाँ घटित घटनाओं का पूरा ज्ञान रखता है। इसलिए कृपया उसे ध्यान से सुनें और यदि कोई हो तो उनसे सवाल पूछें।

· कृपया अपने गाइड के निर्देशों का पालन करें।

प्रदर्शनी

· भवन के अंदर रखे गए फर्नीचर, स्थिर वस्तुओं , तसवीरों, पेंटिंग, सजावटी और प्राचीन वस्तुओं को नुकसान न पहुँचाएं क्योंकि वे केवल प्रदर्शन के लिए हैं न कि उपयोग के लिए।

· फर्नीचर, कालीन, झूमऱ, पर्दे आदि पुराने हैं और हमारी विरासत का हिस्सा हैं। कृपया उनके संरक्षण में मदद करें

सुरक्षा कर्मी

· टुअर के दौरान एक सुरक्षा कर्मी भी आपके साथ रहता है क्योंकि भवन के अंदर की सुरक्षा व अनुशासन व्यवस्था सुनिश्चित करनी होती है । इसलिए वह संग्राहलय से सबसे अंत में बाहर आता है। यदि आप संग्राहलय के किसी कक्ष में अधिक समय बिताना चाहते हैं, तो कृपया सुरक्षा कर्मी को सूचित करें।

लॉन पर चलना

· संस्थान का मुख्य भवन घास के सुंदर मैदानों से घिरा हुआ है। भवन के सामने लॉन के नीचे एक रेन वाटर हार्वेस्टिंग टैंक बनाया गया है, इसलिए वहां चलने की अनुमति नहीं है। भवन को देखने का आनंद लेने के लिए कृपया रास्ते का प्रयोग करें। ट्यूलिप वृक्ष के पास स्थित दक्षिण-पश्चिम कोने से भवन की पृष्ठभूमि के साथ फोटोग्राफी करने के लिए सबसे अच्छी जगह है।

· भवन के पीछे भी कुछ लॉन हैं। घास पर न चलें क्योंकि इससे लॉन की सुंदरता को नुकसान पहुंचाता है।

फोटोग्राफी

· यद्यपि भवन के बाहर की सुंदरता को आप अपने कैमरे/मोबाइल में कैद कर यात्रा को यादगार बना सकते हैं लेकिन भवन के अंदर फोटोग्राफी की अनुमति नहीं है।

· टिकट काउंटर पर भवन की तस्वीरों के साथ सुंदर पोस्ट कार्ड बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। अपनी यात्रा स्मरणीय बनाने के लिए आप उन्हें स्मृति चिन्ह के रूप में खरीद सकते हैं।

· संस्थान के प्राधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना संस्थान के परिसर में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक वीडियोग्राफी और वाणिज्यिक फोटोशूट प्रतिबंधित है।

· संस्थान की परिसर के भीतर किसी भी प्रकार के रिमोट संचालित उपकरणों जैसे ड्रोन, खिलौने आदि को उड़ाना पूर्ण रूप से प्रतिबंधित है।

धूम्रपान

· संस्थान में धूम्रपान करना सख्त मना है। आगंतुकों से अनुरोध है कि वे नियमों का पालन करें। यदि कोई संस्थान की परिसर में धुम्रपान करता हुआ पाया जाता है तो उससे 500/-रुपए जुर्माना वसूला जाएगा।

कूड़ा-करकट

· शिमला बहुत साफ और स्वच्छ शहर है। प्रशासन शहर का प्रबंधन करता है और स्वच्छता बनाए रखने पर बल देता है। इसलिए कृपया आसपास कूड़ा-करकट न फेंकें।

· संस्थान द्वारा विभिन्न स्थानों पर डस्टबिन लगाए गए हैं। कृपया उनका उपयोग करें।

· किसी भी खाली पैकेट, प्लास्टिक के लिफाफे, छिलके, प्लास्टिक की बोतलें या कोई अन्य कचरा सड़क पर, पहाड़ियों के नीचे या जंगलों में न फेंके। उसे तब तक अपने पास रखें जब तक आपको डस्टबिन न मिल जाए और फिर कूड़ा निस्तारण करें।

पिकनिक

· संस्थान के परिसर में पिकनिक मनाने की अनुमति नहीं है।

· परिसर में खाने पीने की वस्तुएं ले जाने की अनुमति नहीं है। भवन के आसपास के जंगलों में कैम्प आदि लगाने की भी अनुमति नहीं है।

फायर स्टेशन कैफे/कैफेटेरिया

· संस्थान का अपना एक कैफेटेरिया है जिसे ’फायर स्टेशन कैफे’ के नाम से जाना जाता है। वहाँ आगंतुक के लिए चाय, कॉफी और नाश्ता उपलब्ध करवाया जाता है।

· खाने-पीने की हर वस्तु की दरें तय हैं। सामान खरीदने के बाद रसीद अवश्य लें।

· संस्थान की अत्यधिक शोध उन्मुख पुस्तकें तथा भवन से संबंधित स्मारिका वस्तुओं भी यहाँ बिक्री के लिए उपलब्ध हैं।

बचाव व सुरक्षा

· भवन की सुरक्षा का जिम्मा यहाँ तैनात सुरक्षा कर्मियों का है इसलिए कृपया उन्हें सहयोग करें। उनकी बात को सुनना और निर्देशों का पालन करना हम सबके हित में है।

· दीवार पर न चढ़ें और न ही पौधों को हानि न पहुँचाएँ।

· दीवारों, पेड़ों या इमारत के किसी भी हिस्से को बनाए रखने के लिए, बालूस्ट्रैड को नुकसान न पहुंचाएं। जो भी ऐसा करता पाया गया, उसे उचित दंड दिया जाएगा।

· हथियार, गोला-बारूद, चाकू, धूम्रपान की चीजें, तम्बाकू उत्पाद, और शराब पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं।

· कोई भी हादसा या दुर्घटना होने पर सुरक्षा कर्मी या संस्थान के किसी अन्य स्टाफ सदस्य से संपर्क करें ताकि चिकित्सा सुविधा की व्यवस्था की जा सके।

प्रसाधन व शौचालय

· आगंतुकों के लिए संस्थान के मुख्य भवन के अंदर शौचालय नहीं हैं, लेकिन टिकट काउंटर के पास महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग शौचालय हैं।

· कभी-कभार शौचालय मरम्मत कार्य हो सकता है, इसलिए कृपया वैकल्पिक व्यवस्था के लिए टिकट काउंटर पर संपर्क करें।

अंततः

· कृपया शांति बनाए रखें और नियमों का उचित से पालन करें।

· ऐतिहासिक स्थलों या स्मारकों, या उनसे जुड़ी किसी भी कलाकृतियों को हानि न पहुँचाएं, न उन्हें हटाएं और न ही नष्ट करें। ऐतिहासिक भवन की दीवारों और सतहों को छूने और खरोंचने से बचें क्योंकि ये हमारी विरासत हैं और इनकी विशेष देखभाल की आवश्यकता है।

· संस्थान के मुख्य द्वार के अंदर पर्यटकों के लिए पार्किंग की सुविधा उपलब्ध नहीं है।

· फोटोग्राफ के अलावा कुछ भी न ले जाओ , कदमों के निशान के अलावा कुछ भी न छोड़ो यही वह नियम है जो हर पर्यटक और आप पर भी लागू होता है। कृपया इसका अनुसरण करें।