आंतरिक शिकायत समिति

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के निर्देशों तथा कार्य-स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामले विशाखा व अन्य बनाम राजस्थान सरकार व अन्य के संदर्भ में 13 अगस्त 1997 को माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेशों के अनुपालन में संस्थान में काम करने वाली महिलाओं के यौन उत्पीड़न की शिकायतों सुनने और उनका निपटारा करने के लिए संस्थान में एक शिकायत समिति का गठन किया गया है । समिति के कुछ सदस्यों के स्थानांतरण आदि के बाद समय-समय पर इसका पुनर्गठन किया जाता है। वर्तमान में इस शिकायत समिति की संरचना निम्न प्रकार है-

 
क्रमांक नाम पदनाम संपर्क नंबर एक्सटेंशन ई-मेल
1 डॉ. मीनू अग्रवाल,आवासी चिकित्सा अधिकारी अध्यक्ष 01772831382 211 rmo@iias.ac.in
2 डा. अल्का त्यागी (अध्येता) सदस्य 323 tyagi.alka@gmail.com
3 डा. वेनुसा टिनी (अध्येता) सदस्य tinythought@gmail.com
4 सुश्री रश्मि शर्मा(अधिवक्ता) सदस्य
5 श्री राकेश कुमार(लेखा अधिकारी) सदस्य 203 accounts@iias.ac.in

उद्देश्य

समिति के निम्न उद्देश्य हैं-

1. छात्रों और कर्मचारियों के बीच लैंगिक समानता को बढ़ावा देकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव और यौन उत्पीड़न को रोकना।

2. संस्थान के प्रोस्पेक्टस और उपनियमों में छात्रों के लिए निहित नियमों में बदलाव/विस्तार के लिए निदेशक को संस्तुति प्रदान करना, इन नियमों को लिंग न्यायोचित बनाना तथा छात्रों व कर्मचारियों द्वारा महिलाओं के प्रति भेदभाव के कृत्यों को रोकना, मामलों को सुलझाना, निपटाना और अभियोजन की प्रक्रियाएं अपनाना।

3. महिलाओं के खिलाफ होने वाले भेदभाव और यौन उत्पीड़न के मामलों का समयबद्ध तरीके से निपटारा करना, उत्पीड़ितों को सहायता सेवाएं सुनिश्चित करना तथा उत्पीड़न को समाप्त करना।

4. निदेशक को दोषी पक्ष के खिलाफ उचित दण्डात्मक कार्रवाई करने की सिफारिश करना।

समिति के समक्ष शिकायत करने की प्रक्रिया

यह समिति संस्थान में यौन उत्पीड़न के मामलों से संबंधित है। यह सभी अध्येताओं , कर्मचारियों और संकायों के लिए है। पीड़ित या तीसरे पक्ष द्वारा भेदभाव या यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज की जा सकती है। एक लिखित शिकायत समिति के संयोजक को दी जा सकती है। यदि शिकायत निदेशक, सचिव या समिति के किसी अन्य सदस्य से की जाती है, तो वे उस शिकायत को समिति के संयोजक को भेज सकते हैं।

ध्यानार्थ है कि सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश के अनुसार यौन उत्पीड़न को ’अवांछित’ यौन व्यवहार (चाहे सीधे या निहितार्थ) के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, यथा-

1. शारीरिक संपर्क व इस तरह का प्रस्ताव

2. यौन अनुग्रह या अनुरोध करना

3. यौन संबंधी टिप्पणी करना

4. अश्लील साहित्य दिखाना तथा

5. यौन प्रकृति के अन्य अवांछित शारीरिक, मौखिक या गैर-मौखिक आचरण (सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विशाखा मामले में दिए गए निर्णय में निहित)

निम्नलिखित कृत्य भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आते हैं और समिति के कार्यक्षेत्र में आते हैं-

1. छेड़खानी,

2. घृणित टिप्पणी,

3. अजीब या शर्मिंदगी का कारण बनने वाले चुटकुले,

4. ईशारे करना और ताने मारना,

5. लिंग आधारित अपमान या लैंगिकवादी टिप्पणी करना

6. टेलीफोन या किसी भी उपकरण से आवंछित लैंगिक टोन बजाना (अप्रिय टेलीफोन कॉल) आदि।

7. शरीर के किसी भी हिस्से को छूना या छूकर निकल जाना आदि।

8. अश्लील या अन्य आपत्तिजनक या अपमानजनक चित्र, कार्टून, इश्तहार दिखाना या इस तरह की बातें करना।

9. जबरन शारीरिक स्पर्श या छेड़छाड़ और

10. किसी की इच्छा के विरूद्ध शारीरिक समीपता बनाना या इस तरह का कोई कृत्य जिससे किसी की निजता भंग होने की संभावना हो।