कोविड-19 महामारी के दौरान संस्थान भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में मार्च से दिसंबर 2020 तक आयोजित कार्यक्रमों का सारांश

चमत्कारों से दूर वर्ष 2020 दुनिया के अधिकांश लोगों के लिए प्रयोग और परेशानी भरा वर्ष था। इसका स्पष्ट कारण है सार्स-कोविड-2 वायरस या अति तीव्र श्वसन परिलक्षण कोरोना वायरस, जिसे कोविड-19 के नाम से जाना जाता है। बेहतर यही होगा कि अब हम इसे पूर्ण नाम से पुकारें और आशावान हों कि वैक्सीन के उत्पादन के साथ, हम इस महामारी को अलविदा कहेंगे। हालांकि दुनिया के लिए वर्ष 2020 इसी अन्वेषण में गुजर गया। दुनिया में लगभग 77 लाख कोरोना वायरस के मामले सामने आए और लगभग 1.7 लाख लोगों की मौत भी हो चुकी है। संयुक्त राज्य अमेरिका में इस महामारी के संक्रमण मृत्यु दर और भी अधिक रही। वहां 18 लाख से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं जिनमें से 3 लाख से अधिक की मृत्यु हो गई। भारत में 10 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए और 1 लाख 80 हजार से अधिक मौते हुई हैं।

सौभाग्य से भारत में, कोरोना संक्रमितों के ठीक होने की दर अधिक है। करीब 3 लाख सक्रिय मामले हैं जिनमें 9 हजार से कम मामलों को गंभीर माना गया है। प्रति लाख जनसंख्या में 7 हजार से अधिक कोरोना मामले सामने आए है। दूसरे शब्दों में कह सकते हैं कि एक हजार व्यक्तियों में एक ही संक्रमित है। लगभग 1000 संक्रमितों में से 1 व्यक्ति की इस बीमारी से मृत्यु हुई है। लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से सबसे कमजोर वर्ग यानी प्रवासी श्रमिकों और सीमांत किसानों को इस महामारी से बहुत नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई के लिए यह सहानुभूति कुछ भी नहीं। यह माना जाता है कि इस महामारी के कारण सरकारी उपायों के बावजूद गरीबी और असमानता ने सबसे निर्धन व्यक्ति की परेशानियों को और बढ़ा दिया है।

भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के लिए 1 मार्च से 15 दिसंबर 2020 तक की अकादमिक अवधि बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण रही। कोविड-19 ने हम पर भी अपना प्रभाव डाला। संस्थान के 25 अध्येताओं में से जो इस दौरान संस्थान परिसर में रहे, वे सभी सुरक्षित रहे। हम भाग्यशाली हैं कि सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के यथासंभव उपायों तथा सावधानी बरतने के कारण, कोई भी इस महामारी की चपेट में नहीं आया। हालाँकि, हमें बहुत दुःख है कि प्रोफेसर विजया रामास्वामी, टैगोर अध्येता माह मार्च में दिल्ली गईं थी, वहां कुछ महीनों बाद वे गंभीर रूप से बीमार हो गईं और दुर्भाग्य से जून 2020 में उनका निधन हो गया। अन्य अध्येता डॉ.. सी.के. राजू को दिल का दौरा पड़ गया था और वे भी  वापिस शिमला नहीं सके क्योंकि दिल्ली में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं थी। मुझे यह कहते हुए खुशी हो रही है कि अब वे स्वस्थ और सुरक्षित हैं।

हलांकि इस महामारी के कारण हमारी सामान्य गतिविधियां विशेष रूप से आन-साइट संगोष्ठियां  प्रभावित हुईं हैं, मगर हमने इन्हें वेबिनार के माध्यम से सफल बनाने का प्रयास किया। लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद भी संस्थान ने उच्च अनुसंधान कार्यों तथा अकादमिक उत्कृष्टता के प्रति अपने प्रयास जारी रखे। जबकि कोविड-19 के प्रकोप के चलते संस्थान द्वारा इस तरह की चर्चाओं का मंच ऑफलाइन से ऑनलाइन स्थानांतरित कर दिया गया तथापित इस दौरान विभिन्न प्रकार के प्रतिष्ठित वक्ताओं- शिक्षाविदों और राजनेताओं ने संस्थान के अकादमिक समुदाय के साथ विविध विषयों पर विमर्श किया। वास्तव में, ऐसे वेबिनारों ने यह सुनिश्चित किया कि न केवल हमारे वर्तमान अध्येता, बल्कि हमारे पूर्व अतिथि जैसे- विजिटिंग स्कॉलर्स, प्रोफेसर, आईयूसी सह-अध्येता, शिमला व आसपास के विद्वान व प्रशासक, तथा विश्व के विभिन्न भागों से दूसरे शिक्षार्थी भी इन चर्चाओं में भाग ले सकते हैं।

यह हर्ष का विषय है कि इस अवधि के दौरान अध्येताओं की साप्ताहिक व्याख्यान  यथावत जारी रही। इस अवधि में इस प्रकार की 40 संगोष्ठियां आयोजित की गई जिनके माध्यम से अध्येताओं ने अपने शोधकार्यों तथा संबंधित दूसरे प्रयासों के बारे में आनलाइन चर्चा की। इन संगोष्ठियों की समग्र सूची आगे दी गई है।

इसके अलावा, हमने "इण्डिया इन पोस्ट-कोविड 19 वल्र्ड: चैलेंजिस एण्ड आपच्र्युनिटीस’’ नामक नई विशिष्ट व्याख्यान वेबिनार  भी प्रारंभ की है। इस वर्ष की शायद यह संस्थान की सबसे महत्वपूर्ण शैक्षणिक उपलब्धि रही है। विभिन्न प्रख्यात वक्ताओं ने अर्थव्यवस्था, व्यापार, विदेशी संबंधों, श्रमशक्ति, तृतीयक सेवाओं, तथा उभरती नई वैश्विक  व्यवस्था सहित देश के विभिन्न क्षेत्रों पर हुए इस महामारी के प्रभावों के बारे में चर्चा की गई। इस कीर्तिमान  के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय स्तर के पंद्रह प्रख्यात वक्ताओं ने सीधी बात की। फेसबुक और अन्य प्लेटफार्मों पर एक साथ प्रसारित किए जाने के बाद हमने इन व्याख्यानों को यू ट्यूब चैनल पर प्रकाशित किया है। विवरण के लिए कृपया संबंधित सूची का अवलोकन करें।

भारतीय सांस्कृति संबंध परिषद के सहयोग से ’भारत-विद्या पुनर्विचार’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें अमेरिका, कनाडा, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया से प्राप्त उल्लेखनीय शोधपत्र प्रस्तुत किए गए। विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संबंधित विवरण देखें।

पहली बार, हमने 'रीवरस इन अवर लिटरेरी टैडिशनस’ विषय पर एक वार्षिक राष्ट्रीय एकीकरण सम्मेलन का आयोजन किया। विस्तृत जानकारी के लिए कृपया संबंधित विवरण देखें।

संस्थान ने अपना 55वां स्थापना दिवस भी आवश्यक सावधानियों के साथ मनाया। इस अवसर पर माननीय शिक्षा मंत्री, डॉ.. रमेश पोखरियाल “निशंक” ने हमें वेबिनार के माध्यम से संबोधित किया। डॉ.. योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण’ द्वारा नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) पर व्याख्यान दिया गया।

शीतकालीन अवकाश से पूर्व श्री राम माधव द्वारा ’एथिकल फाउंडेशनस आफ नेशनलिज्म’ नामक महत्वपूर्ण विषय पर प्रमुख अकादिमक कार्यक्रम 'रबीन्द्रनाथ टैगोर स्मृति व्याख्यान’ दिया गया। हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय जी ने इस व्याख्यान की अध्यक्षता की।

संस्थान ने वर्चुअल बुक लॉन्च कार्यक्रम के माध्यम से वर्तमान और पूर्व अध्येताओं के प्रयासों को स्वीकारना और सराहना जारी रखा, जिसमें उनके द्वारा रचित पुस्तकों के बारे में परिचर्चा की गई। इस अवधि के दौरान संस्थान के वर्तमान और पूर्व अध्येताओं की कुल 19 पुस्तकें प्रकाशित हुई। विवरण के लिए कृपया आगे दी गई सूची का अवलोकन करें।

अंत में, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि संस्थान ने बाहरी गतिविधियों की भी एक  शुरू की है। संस्थान में ऑनलाइन माध्यम से विभिन्न विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किए गए। इनमें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, स्वच्छता पखवाड़ा तथा हिंदी दिवस समारोह प्रमुख हैं। इस दौरान श्री अनंतनारायणन और पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जैसे विद्वानों द्वारा विशेष व्याख्यान दिए गए। संस्थान ने हर शुक्रवार को इस प्रकार की बाहरी गतिविधियों का आयोजन करना शुरू किया है, जिनमें न केवल अध्येता शामिल हुए, अपितु उन्हें परस्पर विचारपूर्ण अंतर्दृष्टि को साझा करने का भी एक मंच मिला। इन आयोजनों में अध्येताओं ने अपनी आत्मकथा के अंश पढ़े, स्वरचित कविताओं का पाठ किया, गांधी पर स्मरणीय व्याख्यान दिए और छत्तीसगढ़ की मूर्तिकला पर चर्चा की। इसके अलावा, प्रतिष्ठित कवियों द्वारा रचित कविताएँ भी प्रस्तुत की गईं, जिनमें प्रसिद्ध इजराइली कवि डॉ.. डिटी रोनेन द्वारा प्रस्तुत एक कविता पाठ भी शामिल है।

संस्थान में इस तरह की आठ गतिविधियां आयोजित की गईं। देखा जाए तो मार्च से दिसंबर 2020 तक कुल 68 कार्यक्रम आयोजित किए गए।

लेकिन शायद सबसे बड़ी उपलब्धि यह मानी जाएगी कि हमने संस्थान के मुख्य भवन (पूर्व वाइसरीगल लाज) तथा संस्थान परिसर की व्यापक मरम्मत और जीर्णोद्धार का कार्य शुरू किया जोकि इस राष्ट्रीय धरोहर के संरक्षण के लिए आवश्यक था। वैसे यह काम दशकों से लंबित था मगर नवंबर 2019 में शिक्षा मंत्रालय की ओर से मरम्मत और जीर्णोद्धार के लिए लगभग 66 करोड़ रुपए राशि की प्रशासनिक व वित्तीय मंजूरी प्रदान की गई। 2014 में, हमने पहले से मुख्य भवन के रसोई विंग जोकि खस्ता हालत में था उसकी मरम्मत की मंजूरी दे दी थी, लेकिन के.लो.नि.वि. की ओर से काम शुरू नहीं किया गया था। क्योंकि के.लो.नि.वि. इस कार्य हेतु किसी सलाहकार को नियुक्त करने में असमर्थ था। आखिरकार, 13 अगस्त 2020 को एपिकोंस स्ट्रक्चरल कंसल्टेंट और द्रोण हेरिटेज कंसल्टेंट्स की देखरेख में यह कार्य शुरू हो गया है। कोविड-19 के दौरान संबंधित निविदाओं को खोला गया और यह कार्य निर्माण ईकाइयों को सौंपा गया। मुझे बताने में प्रसन्नता हो रही है कि आखिरकार यह काम शुरू हो गया है।

गतिविधियों की विस्तृत सूची निम्न प्रकार है-

गोलमेज एवं सम्मेलन- भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला, में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के सहयोग से, 13 मार्च 2020 को 'रीथिंकिंग इंडोलॉजी’ विषय पर एक गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया जाना प्रस्तावित था। प्रोफेसर सी. के. राजू, टैगोर अध्येता, तथा पुणे विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर एवं प्रमुख प्रोफेसर शरद देशपांडे, इस सम्मेलन के संयोजक थे। यह सम्मेलन कोविड 19 के कारण स्थगित कर दिया गया था। हालांकि, कुछ विदेशी विद्वान पहले ही शिमला आ चुके थे, इसलिए उनकी उपस्थिति का सबसे अच्छा संभव उपयोग करने के लिए यह विचार किया गया कि संस्थान परिसर में रह रहे अध्येताओं के साथ 'भारत-विद्या’ विषय पर एक गोलमेज चर्चा और विमर्श हो। प्रतिभागियों में प्राफेसर केनेथ जिस्क, प्रोफेसर बलराम शुक्ल, प्रोफेसर डोमिनिक वुजेनस्क, डॉ.. पीटर शर्फ, प्रोफेसर हेराल्ड विसे और प्रोफेसर सी.के.राजू जैसे प्रसिद्ध भारत-विद्या के विषय विशेषज्ञ शामिल थे। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर मकरंद आर. परांजपे ने 'भारतीय और भारत-विद्या के बीच अंतर स्थापित करते हुए कहा कि 'देश’ और 'दर्शन’ के रूप में भारतीय अवधारणा को अलग-अलग ढंग से प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इस दौरान प्राचीन काल में सांस्कृतिक आदान-प्रदान, फारसी सीखने के लिए पाणिनी के मॉडल का अनुप्रयोग, भारत-विद्या विषय में महत्वपूर्ण परिवर्तन 'पतंजलि’ सूत्र के संदर्भ में विशेष रूप से व्याकरणिक परंपरा, प्रश्नों से आधुनिकता की शक्ति के साथ पाठ्यता का आधुनिक दृष्टिकोण, परंपरा (तत्वामसी), भाष्य (प्रार्थनासथिल्य) और अमृत सिद्धि के संबंध में हठ योग, निर्णय सिद्धांत, और संभाव्यता, दोनों के लिए पूर्व-आधुनिक भारतीय योगदान, गणना की अवधारणा, जो भारत से यूरोप की ओर अग्रसर हुई, 5वीं शताब्दी की गणना की भारतीय उत्पत्ति (आर्यभट्ट) से 16वीं शताब्दी (नीलकंठ) तक, आदि विविध विषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं। संस्थान ने अक्तूबर 2020 में पहली बार वेबिनार (सिस्को वेबेक्स पर) के माध्यम से एक राष्ट्रीय एकीकरण सम्मेलन का आयोजन किया गया। अंगे्रजी एवं विदेशी भाषा विश्वविद्यालय, शिलांग से डॉ.. अर्जुमन आरा, रीवरस एण्ड स्प्रिचुअल कल्चर नामक इस वेबिनार के संयोजक थे। इस वेबिनार में नदी और उत्तर-पूर्व भारतीय कथाओं, नदी और आध्यात्मिक संस्कृति, आधुनिक कल्पना में नदी, वर्नाकुलर साहित्य परंपराओं में नदी, असम की प्रवास कथाओं में नदियां, उडिया साहित्य के विशेष संदर्भ में भारतीय साहित्यिक कल्पना में एक सीमा के रूप में नदियां, भारतीय परंपराओं में वर्षा और नदियों की वांग्मय, प्राचीन भारत में नदी व्यापार मार्गों तथा हिमाचल प्रदेश के लोकगीतों में नदियों के मानवशास्त्र आदि उपविषयों पर प्रस्तुतियां दी गईं।

55वाँ स्थापना दिवस -  संस्थान ने अपना 55वाँ स्थापना दिवस नवंबर 2020 के महीने में मनाया। माननीय शिक्षा मंत्री डॉ.. रमेश पोखरियाल 'निशंक’ ने इस अवसर पर आनलाइन संबोधित किया। संस्थान द्वारा प्रख्यात वक्ता डॉ.. योगेंद्रनाथ शर्मा ‘अरुण' को 'नई शिक्षा नीति’ के बारे में व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था।

7वां रबींद्रनाथ टैगोर स्मृति व्याख्यान- संस्थान द्वारा 7वां रबींद्रनाथ टैगोर स्मृति व्याख्यान 4 दिसंबर 2020 को आयोजित किया गया। यह व्याख्यान ऑफलाइन आयोजित किया गया। इस अवसर पर श्री राम माधव, सदस्य, गवर्नर्स बोर्ड, इंडिया फाउंडेशन द्वारा 'एथिकल फाउंडेशन आफ नेशनलिज्म’ विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया गया। हिमाचल प्रदेश के माननीय राज्यपाल, श्री बंडारू दत्तात्रेय मुख्य अतिथि थे।

डीएलएस कोविड - कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र लगे प्रतिबंधों के कारण, आगामी शैक्षणिक कार्यक्रमों को स्थगित करना पड़ा। हालांकि, संस्थान ने अपनी अकादमिक गतिविधियों को जारी रखने के लिए वेबिनार  शुरू की।

संस्थान द्वारा 'इण्डिया इन द पोस्ट-कोविड 19 वर्ल्ड: चैलेंजिस एण्ड आपरच्युनिटीस’ नामक एक व्याख्यान  आरम्भ की गई है ताकि विदेश संबंधों, व्यापार और वाणिज्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, खाद्य समस्या तथा महिलाओं के भविष्य और उनकी दशा जैसे विभिन्न क्षेत्रों पर हुए इस महामारी के प्रभावों के बारे में विशिष्ट वक्ताओं को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया जा सके। इस  के अंतर्गत संस्थान ने प्रसिद्ध शिक्षाविदों और चिकित्सकों को व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया। संस्थान द्वारा इस प्रकार के 15 वेबिनार आयोजित किए गए।

'इण्डिया इन पोस्ट-कोविड 19 वर्ल्ड : चैलेंजिस एण्ड आपरच्युनिटीसनामक एक व्याख्यान  के अंतर्गत आयोजित वेबिनारों का विवरण

क्र.सं. नाम एवं जीवनवृत्त प्रस्तुति का विवरण सारांश प्रस्तुति की तिथि
1- लेफ्टिनेंट जनरल सैयद अता हसनैन।

पीवीएसएम, यूवाईएसएम, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम एंड बार (सेवानिवृत्त)
पूर्व जनरल ऑफिसर कमांडिंग 15 कोर (श्रीनगर), 21 कोर और सैन्य सचिव।

वे विवेकानंद इंटरनेशनल फाउंडेशन और सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज से प्रतिष्ठित अध्येता  के रूप में जुड़े हुए हैं, और भारतीय विश्व मामलों की परिषद (ICWA) और इंस्टीट्यूट ऑफ पीस एंड कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज (IPCS) की गवर्निंग काउंसिल में सदस्य हैं। 13 जुलाई 2018 को भारत के राष्ट्रपति ने लेफ्टिनेंट जनरल हसनैन को कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय का कुलाधिपति  नियुक्त किया।

इण्डिया, द पोस्ट कोविड वर्ल्ड, और द चाइना फैक्टर भारत से जुड़ी वर्तमान सुरक्षा गतिशीलता का विश्लेषण करना भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक नया अध्याय लिखने जैसा है। महामारी के बाद के भू-राजनीतिक वातावरण में, जो कुल अप्रत्याशितता की विशेषता है, स्थिति अभी विकसित होती दिखाई देती है, और बहुत कुछ मान्यताओं पर आधारित है। एक नई विश्व व्यवस्था के मूल के रूप में शक्ति संतुलन का वास्तविक समय मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है। उसके भीतर अन्य बड़ी शक्तियों के संबंध में भारत के स्थान का अनुमान लगाया जाना है। तभी सैन्य शक्ति का भू-राजनीतिक विवशताओं से मिलान किया जा सकता है। 5 जून 2020
2- श्री नवतेज सरना(अमेरिका में भारत के पूर्व राजदूत)वह एक लेखक, अनुवादक, राजनयिक हैं और अमेरिका और इज़राइल में भारत के राजदूत थे। उन्होंने सेंट जेम्स न्यायालय में उच्चायुक्त के रूप में भी कार्य किया। इंडिया यूएस एंड द चेंजिंग वर्ल्ड ऑर्डर यह चर्चा न केवल भारत-अमेरिका संबंधों पर आधारित  थी, बल्कि कोविड के बाद यह संबंध  की दुनिया के परिदृश्यों में किस प्रकार उपयुक्त रहेगा इस पर भी चर्चा की गई। मोटे तौर पर कहा जाए तो  इन चार वर्षों में ग्राफ ऊपर की तरफ भी बढ़ा है।   साथ ही, भारतीय डायस्पोरा की बढ़ती भूमिका, जोकि  राजनीतिक रूप से सक्रिय हो रही है, चुनावों के वित्तपोषण, लॉबी , अमेरिकी कांग्रेस में बढ़ती उपस्थिति का अन्वेषण किया गया। सहयोग के क्षेत्र रणनीतिक बने रहेंगे - इंडो पैसिफिक सहयोग और रक्षा; फार्मास्यूटिकल्स, स्वास्थ्य, वैक्सीन विकास, विज्ञान और तकनीक, अंतरिक्ष सहित आर्थिक सहयोग। अंत में, लोगों से लोगों के संबंधों पर काम करने की आवश्यकता होगी। 08 जून 2020
3- प्रोफेसर राधावल्लभ त्रिपाठी,पूर्व कुलपति , राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली तथा संस्थान के पूर्व अध्येता काशी का शास्त्रार्थ विचारों के द्वारा हम दूसरों को जितना चाहते हैं लेकिन शास्त्रों से नहीं जीतते। अथर्व वेद में लिखा है कि भारत वर्ष में केवल संस्कृत ही नहीं अपितु अनेक भाषए बोली जाती रही हैं।  400 संस्कृत पत्रिकाएं 19वीं सदी में निकली हैं जिस जमाने में अंग्रेज हम पर शासन कर रहे थे| अतः, यह कहना उचित है कि आर्य समाज ने सनातन धर्म का कितना उदधार किया है। 09 जुलाई 2020
4- डॉ.. शेखर सी मंडे,सचिव, डीएसआईआर एवं  महानिदेशक,वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद,अनुसन्धान भवन। एस एण्ड टी चैलेंजिस फॉर द पोस्ट-कोविड इरा नवाचार के लिए किसी औपचारिक प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं होती है। अपनी स्थानीय समस्याओं से निपटने के लिए अपने "जुगाड़" रवैये के साथ आम लोगों में कुछ नया और अभिनव बनाने की बड़ी क्षमता है। 18 वीं शताब्दी में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का अभिन्न अंग था और न्यूटन से बहुत पहले भारत में ग्रहों की गति की गणना की गई थी। लेकिन उपनिवेशवाद के दौरान हमने अपना ज्ञान खो दिया/भूल गए।वार्ता में स्थानीय और नागरिकों के लिए भारत में अनुसंधान एवं विकास प्रयासों में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए मुखर होने की आवश्यकता पर बल दिया गया।
5- सुश्री सुनंदा वशिष्ठ,एक लेखक, राजनीतिक टिप्पणीकार और एक स्तंभकार।सुनंदा वशिष्ठ एक लेखिका, राजनीतिक टीकाकार और स्तंभकार हैं। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के संघर्षग्रस्त क्षेत्र के बारे में विस्तार से लिखा है। 2015 में, उन्होंने MyIndMakers- एक नए युग की मीडिया कंपनी की सह-स्थापना की, जो वैश्विक विचारों और समाधानों के आदान-प्रदान को सक्षम बनाती है। डिसमेंटलिंग द स्टेटस क्वो : कश्मीर आफ्टर एब्रोगेशन ऑफ आर्टिक्ल 370 5 अगस्त 2019 तक, भारत की केवल एक कश्मीर नीति थी, जो 'यथास्थिति बनाए रखना' थी। पिछले सात दशकों में लगातार सरकारों ने जम्मू और कश्मीर राज्य में यथास्थिति बनाए रखने के लिए वह सब कुछ किया जो वे कर सकते थे। इसने किसी की मदद नहीं की। पिछले एक साल में दो केंद्र शासित प्रदेशों में देखे गए प्रणालीगत सुधारों की श्रृंखला यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट करती है कि निरस्तीकरण केवल एक राजनीतिक बयान या एक वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं थी। अनुच्छेद 370 के निरसन ने जम्मू, कश्मीर और लद्दाख को बेदखल कर दिया है और अब समय आ गया है कि लोग वास्तव में स्वतंत्रता और लोकतंत्र का लाभ उठाएं। 30 जुलाई 2020
6- डॉ. स्वप्न दासगुप्ता(माननीय संसद सदस्य, राज्य सभा) झुकाव से रूढ़िवादी; राजनीति और इतिहास के  लेखक; द अयोध्या एक्सपिरियन्स 1988-2020 क्या अयोध्या का इतिहास हमें कुछ बताता है कि भारत कैसे विकसित हुआ है? जिस तरह से हमने अपने इतिहास पर बातचीत करने की कोशिश की है, वह सामने नहीं आया है। उस मामले में अयोध्या यह जानना चाहता है कि क्या ऐसा करने की जरूरत है। हमने अयोध्या के माध्यम से अपनी राष्ट्रीयता में एक नया आयाम जोड़ा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी  ने अयोध्या को आधुनिकता के प्रतीक के रूप में कहा, जो संविधान का पूरक है और इसका खंडन नहीं करता है। यह लोकतंत्र को समृद्ध करता है।
7- राजदूत टीसीए राघवन,महानिदेशक, विश्व मामलों की भारतीय परिषद, सप्रू हाउस, नई दिल्ली हैंडलिंग पाकिस्तान इस वार्ता ने भारत-पाकिस्तान संबंधों का एक सिंहावलोकन किया  और क्षेत्रीय और विश्व स्तर पर पड़ोस में व्यापक परिवर्तनों के संदर्भ में पाकिस्तान के प्रति नीति तैयार करने की दुविधाओं का विवरण दिया।
8- प्रोफेसर आनंद रंगनाथन,आणविक चिकित्सा विशेष केंद्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली। 2019 में वे पूर्ण प्रोफेसर बन गए। उनकी प्रयोगशाला तपेदिक और मलेरिया पर विशेष बल देने के साथ निर्देशित विकास और रोगजनन के क्षेत्र में काम करती है। टू चेंज ऑर नॉट टू चेंज इन द पोस्ट-कोविड वर्ल्ड कई महामारियां आई हैं लेकिन किसी अन्य महामारी ने हमें इतना प्रभावित नहीं किया है जैसा कि Covid-19 महामारी ने किया है। नि:संदेह, हमारे के लिए एक रास्ता बना है जिसे सामान्य शब्दावली में "न्यू नॉर्मल" के रूप में वर्णित किया जा रहा है। प्रश्न यह है कि क्या हमें वास्तव में इसे अपनाने की आवश्यकता है? क्या होगा अगर हम इसे अपनाते  नहीं हैं ? परिभाषा के अनुसार, रास्ते पर चलने का अर्थ है कि हमने इसे चुना है, और हमें उस पर चलने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है। यह नया सामान्य क्या है और यह "सामान्य" से बेहतर कैसे होगा? विभिन्न विषयों से उदाहरण लेते हुए, विशेष रूप से विज्ञान, व्याख्यान ने इस मार्ग को अपनाने के लिए स्वीकार करने, या वास्तव में अस्वीकार करने के निहितार्थों का अन्वेषण करने की कोशिश की। 01 सितंबर 2020
9- श्री अमित कश्यप,उपायुक्त, शिमला।श्री कश्यप 2008 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं। वह पूर्व में हिमाचल प्रदेश सरकार में  पर्यटन एवं  नागरिक उड्डयन, विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत थे। 'इण्डिया इन द पोस्ट-कोविड 19 वर्ल्ड: चैलेंजिस एण्ड आपरच्युनिटीस’ व्याख्यान में हिमाचल की राजधानी-शिमला के जिला प्रशासन के प्रयासों और कार्यकारी अधिकारियों द्वारा पालन किए जाने वाले सिद्धांतों के बारे में बताया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि शहर के नागरिकों को विभिन्न सेवाओं की आपूर्ति के संबंध में कभी भी चुनौतियों का सामना न करना पड़े। इस व्याख्यान में लॉकडाउन से पहले और उसके दौरान और 'अनलॉक' की प्रक्रिया के दौरान प्रशासन के प्रयासों पर प्रकाश डाला। 02  सितंबर 2020
10- सुश्री ललिता कुमारमंगलम पूर्व अध्यक्ष,राष्ट्रीय महिला आयोग (2014-2017),नई दिल्ली।उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल और एचआईवी / एड्स की रोकथाम, यौनकर्मियों, एलजीबीटी समुदाय, प्रवासी और निर्माण श्रमिकों, एसएचजी और शहरी झुग्गी-झोपड़ी महिलाओं जैसे कई मुद्दों पर काम किया है। द स्टेटस एंड फ्युचर ऑफ वुमेन इन पोस्ट-कोविड इंडिया महामारी ने भारतीय महिलाओं को बुरी तरह प्रभावित किया है। लॉकडाउन के दौरान घरेलू हिंसा में इजाफा हुआ है। बड़ी संख्या में महिलाएं जो असंगठित क्षेत्र में थीं, बेरोजगार हो गई हैं और इसलिए वे अधिक असुरक्षित हो गई हैं। महिलाओं को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी प्रताड़ित किया जाता है। साथ ही, एक महिला के स्वास्थ्य में गिरावट ने भारतीय बच्चों के स्वास्थ्य से भी समझौता किया है।महिलाओं में बहुत प्रतिभा होती है। एकमात्र चुनौती उस क्षमता का दोहन करना और उन्हें रोजगार योग्य बनाना है ताकि उनके स्वास्थ्य और भविष्य को सुरक्षित किया जा सके। २१  सितंबर 2020
11. श्री वीर संघवी,सह-संस्थापक, ईज़ी डायनर और पूर्व सदस्य, प्रसारण सामग्री शिकायत परिषद, इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन।जनवरी 2016 से, वे सीएनएन , न्यूज़ 18, संशोधित सीएनएन आईबीएन  न्यूज़ चैनल पर रेजिडेंट कमेंटेटर रहे हैं और साप्ताहिक राजनीतिक शो वर्टुओसीटीकी मेजबानी करते हैं।वीर सांघवी ने अपने करियर के दौरान टीवी और प्रिंट दोनों के लिए राजीव गांधी पुरस्कार, लोकमान्य तिलक पुरस्कार और रूड फूड के लिए दुनिया में सर्वश्रेष्ठ खाद्य साहित्य पुस्तक के लिए कॉन्ट्रेयू पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते हैं। द फ्युचर ऑफ फूड (एंड इटिंग) यह वार्ता पिछली चार शताब्दियों में भारतीय व्यंजनों के विकास पर केंद्रित थी और इस बात पर बल दिया गया कि हम २१वीं सदी में किस ओर जा रहे हैं।इस वार्ता ने मध्ययुगीन प्रभावों और यूरोपीय उपनिवेशवादियों द्वारा निभाई गई भूमिका के साथ-साथ भारतीय भोजन पर वैश्वीकरण के संभावित भविष्य के प्रभाव को व्याख्यायित किया। 28  सितंबर 2020
12. श्री संजय कुंडू,पुलिस महानिदेशक, हिमाचल प्रदेश सरकार, शिमला।जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय में उनके कुछ प्रमुख पूर्व कार्य निम्नानुसार हैं : - संयुक्त सचिव (सार्वजनिक नीति, नदी विकास, प्रायद्वीपीय नदियाँ, संसद) और सीवीओअध्यक्ष ब्रह्मपुत्र बोर्ड (भारत में सबसे बड़े नदी बेसिन को नियंत्रित करने वाला बोर्ड)महानिदेशक-राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (भारत में नदियों को जोड़ने की परियोजना के लिए जिम्मेदार एजेंसी) वॉटर रेसौर्स मैनेजमेंट इन इंडिया- चेलेंजिस अँड द वे फॉरवर्ड वार्ता में भारत में वर्षा की स्थानिक और अस्थायी परिवर्तनशीलता, जल संसाधनों के वितरण, भारत के जल प्रबंधन की चुनौतियों और हमारे जल संकट के व्यापक समाधान के बारे में विस्तार से चर्चा की गई। 19   अक्तूबर  2020
13. डॉ. विक्रम संपथी बैंगलोर स्थित इतिहासकार, डॉ. विक्रम संपत चार प्रशंसित पुस्तकों के लेखक हैं। विक्रम को अंग्रेजी साहित्य में साहित्य अकादमी का पहला युवा पुरस्कार और गौहर जान पर उनकी पुस्तक के लिए न्यूयॉर्क में ऐतिहासिक अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए एआरएससी अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने विंटेज रिकॉर्डिंग के लिए भारत का पहला डिजिटल साउंड आर्काइव 'आर्काइव ऑफ इंडियन म्यूजिक' की स्थापना की है, जो बैंगलोर लिटरेचर फेस्टिवल, इंडिक थॉट्स फेस्टिवल और ज़ी ग्रुप के 'अर्थ-‐ ए कल्चर फेस्ट' के संस्थापक-निदेशक हैं। द चेलेंजिस ऑफ राइटिंग ए बायोग्राफ़ी ऑफ वीर सावरकर विनायक दामोदर सावरकर निस्संदेह बीसवीं सदी के सबसे चर्चित  राजनीतिक विचारकों और नेताओं में से एक हैं। सावरकर रमणीय अंतर्विरोधोंसे थे --- एक स्पष्ट और कट्टर विरोधी-अनुष्ठानवादी तर्कवादी जिन्होंने रूढ़िवादी हिंदू रीति-रिवाजों और मान्यताओं का विरोध किया, अंतर्जातीय विवाह और भोजन को प्रोत्साहित किया, और गो पूजा को केवल अंधविश्वास के रूप में खारिज कर दिया। भारत और विदेशों में मूल अभिलेखीय दस्तावेजों की एक विशाल श्रृंखला से आकर्षित होकर, मनुष्य के जीवन और समय, उसके जीवन और दर्शन, उसके कई विरोधाभासों और उसके चारों ओर के विवादों का पुनर्निर्माण करना और उसे एक नए परिप्रेक्ष्य में रखना जो उसे देखता है। उनकी सभी उपलब्धियों और असफलताओं के साथ, एक पुरस्कृत चुनौती रही है।
14. डॉ.  योगेंद्र नाथ शर्मा 'अरुण'लेखनकार्य-लगभग 50 कृतियाँ प्रकाशित हुई हैं, जिनमें दो महाकाव्य "वैदुष्यमणिविद्योत्तमा" एवं "युगस्रष्टा स्वामी रामानंद" चर्चित एवं पुरस्कृत, 'नदिया से सीखो', 'अंधियारों से लड़ना सीखें' बालकाव्य और 'सभी धर्म महान', 'बहती नदी हो जाइए', ग़ज़ल संग्रह,  'डॉ.' निशंक' के उपन्यासों में जीवन-मूल्य', 'डॉ.' निशंक' का प्रेरणा मूलक चिंतन' और 'डॉ.' निशंक' का सृजनात्मक चिंतन', 'अपभ्रंश' एवं' पुष्पदंत' समीक्षा  सम्मान- साहित्य अकादमी का "भाषा सम्मान"   (एक लाख रूपए) केन्द्रीय हिंदी संस्थान, आगरा का "विवेकानंद सम्मान"  (पांच लाख रूपए) सहित अनेक सम्मान | समाज,साहित्य और संस्कृति का अन्तर्सम्बन्ध जब समाज प्रगति करता है और स्वस्थ जीवन- मूल्यों की स्थापना समाज में होने लगती है,
तो समाज में सौहार्द्रऔरआपसी तालमेल बढ़ जाता है।तब समाज एक जुटता और परस्पर सहयोग के बंधनों में बंध जाता है।
यही वह समय होता है,जब व्यक्ति दूसरों के हित की भावना से भर जाता है।राष्ट्र कवि मैथिली शरण गुप्त ने बहुत बड़ी बात कही है -
‘जिस प्रकारआकाशसे बारिश का पानी अपने लिए नहीं बरसात, उसी प्रकार हमें भी व्यक्तिगत हित से हटकर समष्टिगत हितों के लिए जीना चाहिए।‘ वास्तविकता यह है कि समाज यदि उच्चता की  ओर बढ़ता है, तो साहित्य भी व्यापक चिंतन से पूर्ण हो जाता है।
जब-जब ये सकारात्मक चिंतन से पूर्ण होते हैं, तब- तब व्यक्ति और समाज प्रगति के पथ पर चलते हैं|
20 नवम्बर 2020
15. लॉर्ड  मेघनाद देसाई अड़तीस वर्षों तक लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से जुड़े रहे, जहाँ वे अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ़ ग्लोबल गवर्नेंस (1991-2003) के निदेशक थे।वह वर्तमान में वे आधिकारिक मौद्रिक और वित्तीय संस्थान फोरम (OMFIF) के सलाहकार बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उन्हें 2004 में प्रवासी भारतीय पुरस्कार और 2008 में पद्म भूषण मिला। हेट्रोपोलरिटी एंड द न्यू वर्ल्ड ऑर्डर 9/11 के बाद से, इस्लामाबाद , चीन का उदय और ट्रम्प के तहत नाटो के कमजोर होने से विषमता पैदा हुई है। हमारे पास G5, G20, BRICS, शंघाई प्रक्रिया और आसियान जैसे कई छोटे समूह हैं।Covid19 ने वैश्विक विकास की लय को बाधित कर दिया है। लेकिन ब्रेक्सिट के बाद ब्रिटेन और नीचे जाएगा। यूरोपीय संघ अपने पूर्वी मोर्चे पर आंतरिक विभाजन का सामना कर रहा है। कोई एक महाशक्ति नहीं होगी बल्कि संघर्ष की संभावना बढ़ जाएगी। भारत संघर्ष के उच्च जोखिमों के संपर्क में आएगा। 14  दिसम्बर  2020

अध्येताओं की साप्ताहिक संगोष्टियाँ : महामारी के दौरान अध्येताओं की  साप्ताहिक संगोष्ठियों का आयोजन जारी रहा। जबकि प्लेटफ़ॉर्म ऑफ़लाइन से वर्चुअल जैसे ज़ूम और सिस्को वेबएक्स में स्थानांतरित हो गया, अध्येताओं में परस्पर अकादमिक संपर्क  और चर्चाएं  बाधित नहीं हुईं। संस्थान  के अकादमिक समुदाय ने ईमेल और ऑनलाइन माध्यम से अपनी शोध परियोजनाओं के बारे में  एक-दूसरे के साथ विमर्श  जारी रखा । मार्च और दिसंबर 2020 के बीच अध्येताओं द्वारा  कुल 40 साप्ताहिक संगोष्ठियाँ आयोजित की गईं।

क्रमांक अध्येता का नाम प्रस्तुति का विषय प्रस्तुति की तिथि स्थान/मंच/
1. डॉ.. बिंदु साहनी शिवालिक एरोजन : ब्रिटिश पॉलिसीस एण्ड द इण्ट्र्रोडकशन ऑफ चौस एक्ट (1900) 02 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
2. डॉ.. शर्मिला चंद्रा ए जनरल व्यू ऑफ क्राफ्टिंग एण्ड मोरफोलोजी  ऑफ मास्क्स एण्ड मास्कड परफ़ोर्मेंस इन इंडिया (एक्स्लुडिंग द बंगाल रीज़न)- एन ईंसाइट इंटू फोल्क कल्चर 05 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
3. डॉ.. सुतापा दत्ता कंटेट्स एण्ड कांटेक्स्ट ऑफ  टेक्स्टबुक्स इन बंगाल 06 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
4. डॉ.. विक्रम वी. कुलकर्णी  मरीआईवाले:  भक्त से भिखारी तक 09 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
5. डॉ.. कुलदीप कुमार भान द आर्कियोलोजी ऑफ हड़प्पन क्राफ्ट एण्ड टेक्नोलोजी विथ स्पेशल रेफेरेंस टू गुजरात, वेस्टरन इंडिया सीए.  2600-1900 बीसीई 11 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
6. प्रोफेसर विजया रामास्वामी मैनी तमिल महाभारताज: ए सर्वे फराम द प्रि-कलोनिअल टू द कलोनिअल ईरा 12 मार्च 2020 संगोष्ठी कक्ष
7. प्रोफेसर रमेश चंद्र प्रधान द मैटाफिजिक्स आफ कन्सिसनेस प्रोब्लमस एण्ड प्रोपैक्टस 18 मार्च 2020 ऑनलाइन
8. प्रोफेसर अनीता सिंह स्टेजिंग फैमिनिजमस: जैण्डर, वायलेंस एण्ड परफाॅर्मेंस इन कंटेम्परेरी इण्डिया 19 मार्च 2020 ऑनलाइन
9. भारत में प्रोफेसर सुजाता सोसिओलजी इन इण्डिया: इटस डिस्पिलीनरी हिस्ट्री 26 मार्च 2020 ऑनलाइन
10. प्रोफेसर मुंडोली नारायणन द बाॅडी एज लाइव आर्काइव: द कल्चर आफ ट्रेनिंग आफ कुटियाट्टम 30 मार्च 2020 ऑनलाइन
11. डॉ. अश्विन पारिजात अंशु रि-एंचांटिंग माडेरनिटी : ए स्टडी  : ए स्टडी ऑफ स्वामी विवेकानदाज अमेरीकन एंगजमेंट ऑनलाइन
12. प्रोफेसर राजवीर शर्मा पालिटिकल फिलाॅसफी आफ कौटिल्या: द अर्थशास्त्रा एण्ड आफ्टर ज़ूम
13. डॉ.. मो. आदिल सलाम इण्डियन इन कंटेम्परेरी अरेबिक लिटरेचर १५ अप्रैल २०२० ज़ूम
14. डॉ. अभिषेक कुमार यादव अरुणाचल प्रदेश की जनजातियों द्वारा लिखित हिन्दी साहित्य: कविता एवं नाटक
15. डॉ.. पीटर एम. शार्फ द स्ट्रक्चर ऑफ वर्बल कॉग्निशन ट्रांसलेशन एंड एनालिसिस ऑफ कौंडभट्ट के वैयाकरणभुसनसार 15 अप्रैल 2020 ज़ूम
16. डॉ. सुमनदीप कौर इकोलोजिकल कन्सर्न्स इन सिलैक्ट पंजाबी फ़िक्शन 16 अप्रैल 2020 ज़ूम
17. प्रोफेसर माधव सिंह हाड़ा पद्मिनी विषयक एतिहासिक कथा- काव्य की देशज परंपरा का विवेचनात्मक अध्ययन 16 अप्रैल 2020 ज़ूम
18. डॉ. बलराम शुक्ल प्राकृत कविता की चारुता के भाविक प्रयोजक 20 अप्रैल 2020 ज़ूम
19. डॉ. अंजलि दुहान द्वादश भाव: एडिफ़ाइंग द रोयालिटी 23 अप्रैल 2020 ज़ूम
20. डॉ..  निम्मी एच.एच. रीलिजन, लिटरेचर एण्ड द अदर: इंटरवेन्शनस एण्ड इन्वेन्शनस 27 अप्रैल 2020 सिस्को वेबेक्स
21. प्रोफेसर सी.एन. सुब्रमण्यम गोपालकृष्णना भारतीयारज नंदनार चरित किरत्तानी- ए स्टडी 14 मई 2020 सिस्को वेबेक्स
22. डॉ.  अल्का त्यागी द कान्सेप्ट आफ भैरवा, द सुप्रीम रियल्टी एण्ड भावना क्रिएटिव कंटेम्प्लेशन इन द त्रिका शैविज्म आफ काश्मीर 21 मई 2020 सिस्को वेबेक्स
23. डॉ.  शर्मिला छोटारे बेंगाली जात्रा मैपिंग ए पापुलर फोक थिएटर फराम द 16थ टू अर्ली 21स्ट सेंचरी इन वेस्ट बंगाल 04 जून 2020 सिस्को वेबेक्स
24. डॉ.  सतेन्द्र कुमार पपुलर डिमाक्रेसी इन नाॅर्थ इण्डिया: एन एथनोग्राफिक स्टडी आफ कल्चर, आइडेंटिटी एण्ड पालिटिक्स अमंग द अदर बैकवर्ड क्लासिस 18 जून 2020 सिस्को वेबेक्स
25. डॉ.  प्रसन्नजीत त्रिभुवन डिक्लोनाइजिंग कैन्नबिस: हिस्ट्री, हैगमोनी एण्ड अप्रोच्युनिटीस 06 अगस्त 2020 सिस्को वेबेक्स
26. डॉ.  सुमनदीप कौर इकालजिकल कन्सर्नस इन सिलैक्ट पंजाबी फिक्शन 20 अगस्त 2020 सिस्को वेबेक्स
27. प्रोफेसर माधव सिंह हाडा पद्मिनी विषयक ऐविहासिक कथा-काव्य की देशज परंपरा का विवेचनात्मक अध्ययन 27 अगस्त 2020 सिस्को वेबेक्स
28. डॉ. एमडी. आदिल सलाम इण्डिया इन कंटेम्परेरी अरेबिक लिट्रेचर 03 सितंबर 2020 सिस्को वेबेक्स
29. डॉ. कुलदीप भान द आर्किओलॉजी ऑफ़ हड़प्पन क्राफ्ट एन्ड टेक्नोलॉजी विद स्पेसिफिक रेफेरेंस टू गुजरात वेस्टर्न इंडिया 17 सितंबर 2020 सिस्को वेबेक्स
30. डॉ.. सुमित दहिया वुमेन सिंगरस आफ वेस्टर्न राजस्थान: आर्ट, पैट्रोनेज एण्ड कम्युनिटी लाइफ 24 सितंबर 2020 सिस्को वेबेक्स
31. डॉ. वीनस टिन्यि एन इन्क्वेरी इंटू द फाऊँडेशन आफ डियोंटिक लाजिक प्रोब्लमटाइजिंग क्रिप्केज पास्सिबल वल्र्ड सिमेंटिक्स फार डियोंटिक लाजिक एण्ड फ्रेमिंग एन अल्टनेटिव माडल फार रि-थिंकिंग द बेसिक कान्सेप्टस आफ डियोंटिक एण्ड देयर काउंअरपार्टस इन अदर नार्मेटिव सिस्टमस 05 अक्टूबर 2020 सिस्को वेबेक्स
32. डॉ. बलराम शुक्ल प्राकृत कविता के चारुत्व के भाषिक प्रयोजक 22 अक्टूबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
33. डॉ. अलका त्यागी भैरवा इन कश्मीर शैविज्म (त्रिका दर्शना) 05 नवंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
34. डॉ. महेश्वर हजारिका टू ट्रांसलेट व्याकरणमभाष्या आफ पतंजलि इन्टू आसामीज विद नोट्स एण्ड एक्स्पलेनेशनस 12 नवंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
35. श्री सी.एन. सुब्रमण्यम रिप्रेजेंटिंग एण्ड डिफैमिलियराइजिंग द पराइया 19 नवंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
36. डॉ. प्रसंजीत त्रिभुवन डिकलोनाइजिंग कैन्नाबिस: हिस्ट्री, हैगमाॅनी एण्ड आपच्र्युनिटीस (विद स्पेशल फोक्स आन द हिमालयाज) 26 नवंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
37. प्रोफेसर हितेंद्र कुमार पटेल हिन्दी औपन्यासिक साहित्य में ‘गांधी और नेहरू युगीन’ भारत का राजनैतिक इतिहास: चार उपन्यासकारों के विशेष संदर्भ में 27 नवंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
38. डॉ. पवित्रन नांबियार कल्चर, करप्शन एण्ड इन्सर्जेंसी: थे्रटस एण्ड क्वेस्ट फार सर्वाइवल इन नागालैण्ड 01 दिसंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
39. डॉ. एस.के. चहल हिन्दू सोशल रिफार्म: ए स्टडी आफ द फ्रेमवर्क आफ जोतिराव फुले 03 दिसंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
40. डॉ. पीटर एम. शार्फ द स्ट्रक्चर आफ वर्बल काग्निशन ट्रांसलेशन एण्ड एनालसिस आफ काउंडाभट्टाज व्याकरण अभुसंसारा 10 दिसंबर 2020 ऑफलाइन तथा ऑनलाइन (संगोष्ठी कक्ष एवं सिस्को वेबेक्स)
  1. बाह्य गतिविधियां- उपरोक्त के अलावा, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला में ऑनलाइन माध्यम से विभिन्न विशेष प्रस्तुतियां दी गईं। संस्थान ने श्री अनंतनारायणन और पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जैसे विशेषज्ञों के विशेष व्याख्यान के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस, स्वच्छता सप्ताह और हिंदी दिवस आदि भी मनाया गया। संस्थान ने प्रत्येक शुक्रवार को बाह्य गतिविधियां आयोजित करने शुरू कीं, जिनमें संस्थान के अध्येताओं न सिर्फ भाग लेने का अवसर मिला अपितु परस्पर विचारशील अंतर्दृष्टि साझा करने के लिए एक मंच भी मिला। इसके शृंखला के अंतर्गत अध्येताओं ने अपनी आत्मकथा के अंश पढ़े, स्वरचित कविताएं पढ़ीं, गांधी स्मृति व्याख्यान दिए गए और छत्तीसगढ़ की मूर्तिकला की उत्कृष्ट कृतियों पर चर्चा की गई।

प्रकाशन- महामारी के दौरान लगे प्रतिबंधों में ढील दिए जाने के बाद संस्थान ने अपनी पुस्तकों का प्रकाशन शुरू कर दिया। संस्थान द्वारा सेज, डी.के.  प्रिंटवर्ल्ड, स्प्रिंगर, ऑक्सफोर्ड तथा वाणी प्रकाशन के साथ कई किताबें सह-प्रकाशित की गईं। संस्थान ने प्रत्येक ऐसी सभी पुस्तकों का ’वर्चुअल‘ माध्यम से लोकापर्ण किया जोकि संस्थान के पूर्व या वर्तमान अध्येताओं द्वारा लिखी गई थी।

अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक प्रकाशित पुस्तकों की सूची।

संस्थान द्वारा  प्रकाशित  पुस्तकें

  1. रेफरेंस ऐज एक्शन: स्पेस एंड टाइम इन लेटर विट्गेन्स्टाइन - डॉ. एनाक्षी रे मित्रा द्वारा रचित
  2. त्रिपुनिथुराग्रंधावरी- ए स्टडी - डॉ. पी. नारायणन द्वारा रचित
  3. नीड फाॅर इन्क्लूसिव रिफाॅर्मस: वेरिंग परस्पैक्टिवस - डॉ. अरुण कुमार द्वारा संपादित
  4. स्ट्रक्चरिंग अद्वैत डायलेक्टिक: ए स्टडी आफ श्रीहरसा खंडनखंडखाद्यम एण्ड नैषधियाचरितम - डॉ. ए.पी. फ्रांसिस द्वारा रचित।
  5. बनारसी ठुमरी की परंपरा- ठुमरी गायिकाओं की चुनौतियाँ एवं उपलब्धियाँ (19वीं-20वीं सदी) – डॉ. ज्योति सिन्हा द्वारा रचित।
  6. फूड इन द लाइफ आफ मिजोस: फराॅम प्रि-कलोनिअल टाइम्स टू द पे्रजेंट- डॉ. जगदीश लाल डावर द्वारा रचित
  7. ‘द धर्मा आफ ट्रांसलेशन संस्कृत क्लासिक्स इन कंटेम्परेरी टाइम्स’ -श्री बिबेक देबरॉय द्वारा प्रस्तुत 23वां डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन स्मृति व्याख्यान पर आधारित पुस्तिका

सह-प्रकाशन

  1. द योगा ऑफ नेत्रा तंत्रा थर्ड आइ एण्ड ओवरकमिंग डैथ - प्रोफेसर बेटिना शारदा बूमर द्वारा रचित (सह-प्रकाशन डी.के. प्रिंटवर्ल्ड)
  2. स्पाटिलाइजिंग पापुलर सूफी शराइनस इन पंजाब ड्रीमस, मेमोरीस, टैरिटोरियलिटी -डॉ. योगेश स्नेही द्वारा रचित (सह-प्रकाशन रूटलेज)
  3. संस्कृत पार्सिंग बेस्ड आन द थीअरीस ऑफ शब्दबोधा - डॉ. अंबा कुलकर्णी द्वारा रचित (सह-प्रकाशन डी.के. प्रिंटवर्ल्ड)
  4. ट्रेसिंग गाँधी सत्यार्थी टू सत्याग्रही - डॉ. समीर बनर्जी द्वारा रचित (सह-प्रकाशन रूटलेज)
  5. स्टोरी ऑफ डिजायर सेक्सुअलिटीज एंड कल्चर इन माॅडरन इण्डिया - डॉ. राजीव कुमारमकंदथ तथा डॉ. संजय श्रीवास्तव द्वारा संपादित (सह-प्रकाशन कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस)

अप्रैल 2020 के बाद सह-प्रकाशन

  1. साइंस एण्ड स्प्रिचुअलिटी ब्रिजिस ऑफ अंडरस्टैंडिंग- बेटिना शारदा बाउमर और डॉ. शिवम श्रीवास्तव द्वारा (सह-प्रकाशन डी.के. प्रिंटवर्ल्ड)
  2. मेटाफिजिक्स ऑफ कॉन्शियसनेस: द इंडियन वेदांतिक पर्सपेक्टिव - प्रोसेसर रमेश चंद्र प्रधान द्वारा रचित (सह-प्रकाशन स्प्रिंगर)
  3. हरी भरी उम्मीद चिपको आंदोलन और अन्य जंगलात प्रतिरोधों की परंपरा - डॉ. शेखर पाठक द्वारा रचित (वाणी प्रकाशन)
  4. लैण्ड रिफाॅर्मस टू लैण्ड टिलिंग इमर्जिंग पैराडाइमस ऑफ लैण्ड गवर्नेंस इन इण्डिया - डॉ. प्रदीप नायक द्वारा रचित (सह-प्रकाशन सेज प्रकाशन)
  5. इण्डो-जर्मन एक्सचेंजिस इन एजुकेशन रवींद्रनाथ टैगोर मीटस पॉल एण्ड एडिथ गेहेब - डॉ. मार्टिन कम्पचेन द्वारा रचित (सह-प्रकाशन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी पे्रस)

अध्येताओं द्वारा लिखी गई पुस्तकें

6 मीरा वर्सेज मीरा (प्रोफेसर प्रदीप त्रिखा द्वारा हिंदी से अंग्रेजी में अनूदित) संस्थान के अध्येता प्रोफेसर माधव हाडा, द्वारा रचित (वाणी   प्रकाशन)

  1. बेट्रेड बाय होप: ए प्ले ऑन द लाइफ ऑफ माइकल मधुसूदन दत्त - प्रो. मालाश्री लाल (संस्थान की पूर्व अध्येता) और डॉ. नमिता गोखले द्वारा रचित (हार्पर कॉलिन्स इंडिया)

संक्षेप में, मार्च और दिसंबर 2020 के बीच कुल अड़सठ कार्यक्रम आयोजित किए गए।