हिन्दी पत्रिका 'चेतना' के लिए मौलिक व अप्रकाशित रचनाओं का आमंत्रण।
पिछली अधसदी और खासकर बीते तीन दशकों में सामजिकताओं के अनेक, कुछ प्रत्याशित और कुछ सर्वथा अप्रत्याशित, संस्करणों का जन्म और विकास भारत में हुआ है। इस दौर नेआदिवासी और दलित चेतना का उद्भव देखा है तो मध्य वर्ग का अपूर्व विस्तार और विराट स्वप्नभी। हिन्दू सांस्कृतिक राष्ट्र का पुनर्विन्यास नेहरू युग के अवसान की घोषणा और गाँधी औरअंबेडकर को हासिल करने के प्रयास के साथ घटित होता है। इन सामाजिकताओं के तनाव और उत्सव, विफलताओं और कुंठाओं, उल्लास और ऊर्जा से निर्मित होता यह भारत अपनी नियति से एक नवीन साक्षात्कार की दहलीज़ पर है। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला, की पत्रिका 'चेतना' का आगामी अंकआकांक्षाओं और अंतर्विरोधों में रंगीइनसामाजिकताओंऔर इनके हाशियों पर केंद्रितहै। इस विषय पर 31 दिसम्बर 2019 तक निबंधों का स्वागत है: आशुतोष भारद्वाज (abharwdaj@gmail.com), राजेश कुमार (rajbhasha@iias.ac.in)