अध्ययन क्षेत्र 

सस्थान के मेमोरेंडम आव एसोसिएशन में ऐसे परिप्रेक्ष्यों की पहचान की गई है जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में शोधकार्य को दिशा मिल सकती हैजो इस प्रकार हैं- 

1.      अनुसंधान के क्षेत्र ऐसे होने चाहिए जो अन्तर्विषयक शोध को बढ़ावा दे। 

2.      शोध के विषय ऐसे हों जिनका गहरा मानवीय सरोकार होना चाहिए। 

3.      शोध के प्रमुख क्षेत्र ऐसे हों जिनके प्रति विशिष्ट विद्वान प्रारंभिक चरणों में ही आकृष्ट हो जाएंअंतर-विषयक अन्वेषण के लिए प्रणालीगत ढांचे का विकास हो और कृत-कार्यों में ऐसी गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए जो भाविष्य में इस तरह के प्रयासों को और अधिक क्षेत्रों में विस्तार देने को प्रोत्साहित करे-बशर्तेपरियोजनाओं के चयन में राष्ट्रीय सम्बद्धता की दिशा में ध्यान दिया गया हो। इनके निर्धारण के लिए संबंधित सरकारी विभागों तथा शोध संस्थानों से परामर्श किया जाना चाहिए। प्रत्येक शोध परियोजना के लिए निर्धारित समय सीमा होनी चाहिए और किसी भी परिस्थिति में ऐसी परियोजनाओं की अवधि नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। शोध परियोजनाओं के पूर्ण होने पर उन्हें परिणामस्वरूप प्रकाशित किया जाता है। 

संस्थान द्वारा निम्नलिखित क्षेत्रों को अध्ययन के चयनित किया गया है- 

सस्थान के मेमोरेंडम आव एसोसिएशन में ऐसे परिप्रेक्ष्यों की पहचान की गई है जिनसे विभिन्न क्षेत्रों में शोधकार्य को दिशा मिल सकती हैजो इस प्रकार हैं- 

1.  अनुसंधान के क्षेत्र ऐसे होने चाहिए जो अन्तर्विषयक शोध को बढ़ावा दे। 

2.  शोध के विषय ऐसे हों जिनका गहरा मानवीय सरोकार होना चाहिए। 

3.  शोध के प्रमुख क्षेत्र ऐसे हों जिनके प्रति विशिष्ट विद्वान प्रारंभिक चरणों में ही आकृष्ट हो जाएंअंतर-विषयक अन्वेषण के लिए प्रणालीगत ढांचे का विकास हो और कृत-कार्यों में ऐसी गुणवत्ता सुनिश्चित की जाए जो भाविष्य में इस तरह के प्रयासों को और अधिक क्षेत्रों में विस्तार देने को प्रोत्साहित करे-बशर्तेपरियोजनाओं के चयन में राष्ट्रीय सम्बद्धता की दिशा में ध्यान दिया गया हो। इनके निर्धारण के लिए संबंधित सरकारी विभागों तथा शोध संस्थानों से परामर्श किया जाना चाहिए। प्रत्येक शोध परियोजना के लिए निर्धारित समय सीमा होनी चाहिए और किसी भी परिस्थिति में ऐसी परियोजनाओं की अवधि नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। शोध परियोजनाओं के पूर्ण होने पर उन्हें परिणामस्वरूप प्रकाशित किया जाता है। 

संस्थान द्वारा निम्नलिखित क्षेत्रों को अध्ययन के चयनित किया गया है- 

 (सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक दर्शन;

(तुलनात्मक भारतीय साहित्य (जिसमें प्राचीन मध्यकालीनआधुनिकलोक और  

आदिवासी-साहित्य भी हो);

(दर्शन और धर्म का तुलनात्मक अध्ययन;

(शिक्षासंस्कृति और कलाजिसमें निष्पादन कलाएँ और हस्तशिल्प भी हों;

(तर्क और गणित की मौलिक अवधारणाएँ एवं समस्याएँ;

(प्राकृतिक और जीवन विज्ञानों की मौलिक अवधारणाएँ और समस्याएँ;

(पर्यावरण अध्ययन;

(एशियाई पड़़ोसी देशों तथा विश्व के संदर्भ में भारतीय सभ्यताऔर

(राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में समसामायिक भारत की समस्याएँ। 

विषय 

(विविधता में भारतीय एकता का विषय;

(भारतीय चेतना का एकीकरण;

(भारतीय प्ररिप्रेक्ष्य में शिक्षा का दर्शन;

(प्राकृतिक विज्ञानों में उच्च अवधारणाएँ तथा उनके दार्शनिक पहलु;

(विज्ञान और अध्यात्म के संश्लेषण में भारत और एशिया का योगदान;

(भारतीय तथा मानव एकता;

(भारतीय साहित्य का सहचर;

(भारतीय महाकाव्यों का तुलनात्मक अध्ययनतथा

(मानव पर्यावरण