अध्येतावृति के बारे में आमतौर पर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. आवेदन कैसे जमा किया जाना चाहिए?

निर्धारित आवेदन सचिव, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला को 171005 ईमेल या डाक द्वारा भेजे जा सकते हैं। आवेदन प्रपत्र संस्थान की वेबसाइट से डाउनलोड किया जा सकता है।

2. अध्येतावृति हेतु कब और कैसे विज्ञापित की जाती है?

हलांकि अध्येतावृति प्रदान करने हेतु व्यापक रूप से विज्ञापित किया जाता है और वेबसाइट पर सूचीबद्ध भी किया जाता है। आवेदन पूरे वर्ष भर आमंत्रित किए जाते हैं। अध्येताओं का चयन उन आवेदकों तक ही सीमित नहीं है जो विज्ञापन के प्रत्युत्तर में आवेदन करते हैं। इस हेतु निदेशक, शासी निकाय और सोसायटी के सदस्यों द्वारा सुझाए गए प्रख्यात विद्वानों के नामों पर विचार करने के लिए भी संस्थान के पास विकल्प खुला रहता है।

3. संस्थान में किस-किस प्रकार की अध्येतावृतियां हैं?

संस्थान में तीन प्रकार के अध्येता होते हैं- राष्ट्रीय अध्येता, नियमित अध्येता और टैगोर अध्येता। फेलोशिप की अवधि 6 महीने, 1 वर्ष, 2 वर्ष तक होती है। संस्थान में सभी प्रकार के अध्येताओं का कार्यकाल अधिकतम 2 वर्षों के लिए होता है। आवेदन करते समय अध्येतावृति के लिए मांगी गई अवधि का उल्लेख किया जाना चाहिए। अध्येतावृति प्रदान होने के उपरांत उसमें परिवर्तन नहीं किया जा सकता।

4. अध्येतावृति प्रदान करने की सूचना कब जारी की जाती है?

फैलोशिप अवार्ड कमेटी, आवेदकों की छंटनी करती है और अध्येतावृति प्रदान करने का निर्णय लेती है। फैलोशिप अवार्ड कमेटी की वर्ष में दो बार बैठक होती है, उसके बाद सफल आवेदकों को सूचित किया जाता है।

5. संस्थान में अध्ययन के क्षेत्र क्या हैं?

संस्थान द्वारा कुछ अध्ययन क्षेत्रों को परिभाषित किया है, जो इस प्रकार हैं -

(क) सामाजिक राजनैतिक और आर्थिक दर्शन;

(ख) तुलनात्मक भारतीय साहित्य (जिसमें प्राचीन मध्यकालीन, आधुनिक, लोक और

आदिवासी-साहित्य भी हो);

(ग) दर्शन और धर्म का तुलनात्मक अध्ययन;

(घ) शिक्षा, संस्कृति और कला, जिसमें निष्पादन कलाएँ और हस्तशिल्प भी हों;

(ङ) तर्क और गणित की मौलिक अवधारणाएँ एवं समस्याएँ;

(च) प्राकृतिक और जीवन विज्ञानों की मौलिक अवधारणाएँ और समस्याएँ;

(छ) पर्यावरण अध्ययन;

(ज) एशियाई पड़़ोसी देशों तथा विश्व के संदर्भ में भारतीय सभ्यता, और

(झ) राष्ट्रीय एकता और राष्ट्र निर्माण के संदर्भ में समसामायिक भारत की समस्याएँ।

कुछ क्षेत्रों पर भी विशेष ध्यान दिया गया है, जैसे- विविधता में भारतीय एकता का विषय, भारतीय चेतना का एकीकरण, भारतीय प्ररिप्रेक्ष्य में शिक्षा का दर्शन, प्राकृतिक विज्ञानों में उच्च अवधारणाएँ तथा उनके दार्शनिक पहलु, विज्ञान और अध्यात्म के संश्लेषण में भारत और एशिया का योगदान, भारतीय तथा मानव एकता, भारतीय साहित्य का सहचर, भारतीय महाकाव्यों का तुलनात्मक अध्ययनय तथा मानव पर्यावरण भी इस दायरे में आते हैं।

6. अध्येतावृति अनुदान

सेवारत अध्येताओं के वेतन की रक्षा की जाएगी। इसके अलावाए यदि कोई अध्येता संस्थान द्वारा आवंटित आवास में न रहकरए अलग अपने घर में रहता है तो उसे अपने मूल वेतन का 20 प्रतिशत भी मिलेगा। स्वतंत्र अध्येताओं की श्रेणी के अंतर्गत आने वाले अध्येता को 56,400/- (छप्पन हजार चार सौ मात्र) रूपए की अनुदान राशि प्रतिमाह (समेकित) मिलेगी।

7. क्या आवास सुविधा प्रदान की जाती है?

संस्थान द्वारा अध्येताओं को राष्ट्रपति भवन निवास परिसर में स्थित कुटीरों में रहने के लिए आवाश्यक सामान से सुसज्जित, मुफ्त आवास सुविधा प्रदान की जाती है। टीवी, फ्रिज, स्टोव, हीट पिलर, गीजर और बिस्तर आदि जैसी वस्तुओं के लिए एकमुश्त किराया लिया जाएगा। उन्हें मामूली शुल्क के भुगतान पर स्थानीय आवाजाही के लिए संस्थान के वाहनों की सुविधा प्राप्त होगी। अध्येता संस्थान के औषधालय में मुफ्त चिकित्सा उपचार के भी हकदार हैं। इसके अलावा, विद्वानों को कंप्यूटर और इंटरनेट सुविधाओं के साथ पूरी तरह से सुसज्जित एक साझा अध्ययन कक्ष प्रदान किया जाएगा।

8. संस्थान में चलायमान टैगोर सेन्टर क्या है?

गुरूदेव रबीन्द्रनाथ की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर भारत सरकार के शिक्षा मंत्रलाय ने संस्कृति एवं सभ्यता के अध्ययन के लिए संस्थान को टैगोर सेंटर की संस्थापना से नवाजा। जैसा कि संस्थान का यह अधिदेश था कि ‘प्रथम सिद्धांत तथा विशेष विस्तारपूर्वक नहीं’, गूढ़ और बाह्य के बीच गहन विमर्श, घर और संसार के मध्य, भूत और वर्तमान में सतता के बारे में, तथा दोनों की भविष्यात्मक संभवानाएं जिनके लिए टैगोर ने जीवन पर्यन्त संघर्ष किया उनके लिए यह एक उपयुक्त स्थान है। अतः टैगोर के कार्यों तथा विचारों के मद्देनज़र यह केन्द्र एक ऐसा मंच प्रदान करता है जहां मनीषी का स्वप्न, कवि की भावनाएं, कलाकार की सृजना, शिक्षाविदों की सोच, दर्शनशास्त्रियों के प्रश्न, विजेताओं की अकांक्षाओं तथा अन्तर्राष्ट्रीयतावादियों की उम्मीदों को एक अवसर मिलता है।

टैगोर सेंटर से जाना जाने वाले इस केन्द्र का उद्देश्य सिर्फ टैगोर के कार्यों एवं विचारों का अध्ययन करना ही नहीं है बल्कि यह तो इसकी आवश्यक गतिविधियों का एक भाग है। क्योंकि यह केन्द्र टैगोर की सार्वभौमिक प्रख्याति के प्रति समर्पित है, अतः यह कला, काव्य तथा संगीत के नए मुहावरों के अन्वेषण द्वारा मानवीय परिस्थितियों के साथ विचारशीलता तथा सर्जना को अवसर प्रदान करेगा। इस प्रकार इस केन्द्र ने विद्वानों के अतिरिक्त अभ्यासरत कलाकारों को एक मंच उपलब्ध करवाया है ताकि वे टैगोर की संस्कृति और सभ्यता की अवधारणा के साथ गहन वचनबद्धता को आगे ले जाएं, जो उनके विश्व एकात्मकता के मत पर आधारित है। इसी मत प्रबलता के कारण वे विभिन्न संसाधनों को सर्जनात्मकता के साथ अन्वेषण कर सके, जिसकी वजह से भारतीय सभ्यता तथा संस्कृति की विभिन्न परतों तथा उसके पहलुओं का निर्माण हुआ। टैगोर के बौद्धिक विकास तथा उनकी चेतना ने उन्हें अपने भीतर तथा अन्य पारम्परिक विचारों से मानववादी, सदाचारी, सार्वभौमिक, उदारवादी, विकासशील प्रवृति तथा संकीर्णता, गतकालिकता, रूढ़िवादिता, तथा प्रतिगामिता का परित्याग के प्रति दृढ़ता से टिके रहने के लिए मदद प्रदान की ।

समसामयिक बौद्धिक जीवन व्यापक व संकीर्ण, विकास और पिछड़ेपन जैसी अवधारणाओं का सामना कर रहा है तो ऐसी अवस्था में टैगोर सेंटर भारत और विश्व के लिए संवाद का एक उपयुक्त स्थल सिद्ध होगा। इस केन्द्र ने दक्षिण-दक्षिण बौद्धिकता एवं संस्कृति के आदान-प्रदान की भी शुरूआत की है। अतः आज जो संस्कृति और सभ्यता के अध्ययन के प्रयासों से संबद्ध पिछडे़पन व्याप्त है उसे दूर करने के लिए एक खुले मंच के रूप में बड़े सोच विचार के साथ इस केन्द्र की स्थापना की गई है। शास्त्रीय से लोक संगीत, परम्परागत और आधुनिक के साथ, विज्ञान और मानवता के साथ टैगोर की सर्जनात्मक के प्रति वचनबद्धता की आत्मा इस केन्द्र में संचालित कार्यक्रमों के नियोजन की दिशा में मार्गदर्शी शक्ति है। इस केन्द्र द्वारा संस्कृति एवं सभ्यता से जुड़े उन लोगों को लघु/दीर्घकालीन अवसर प्रदान किया जाता है जो उन समकक्ष मुद्दों से संबद्ध हैं जो टैगोर को शिक्षा, पर्यावरण, विकास, राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक प्रभावों, सामंजस्य, विज्ञान और समाज में तल्लीन मानते हैं। यही वचनबद्धता अथवा उनके साहित्य कल्पना अथवा संगीत, नृत्य तथा चित्रकला, अथवा शहरी और ग्रामीण संदर्भ में शिक्षा और पर्यावरण संबंधी प्रगतिशील विचारों की व्यवसायिकता, अथवा साधारणतः उनकी दूरदर्शिता की व्यापक तात्प्र्यता और संवभावनाओं टैगोर के कार्यों के मौलिक अध्ययन से सम्बन्ध रखती है।

केन्द्र की गतिविधियां

· इस केन्द्र के अंतर्गत प्रति वर्ष चार आवासी अध्येता अध्ययन करते हैं। कोई भी अध्येता यहां पर स्थाई नहीं है। वे संस्थान में न्यूनतम छः माह और

अधिकतम दो वर्ष की अवधि के लिए आते हैं। वे संस्थान के अन्य अध्येताओं की भांति संस्थान में उपलब्ध सुविधाओं का आनंद उठाते हैं। इन अध्येताओं में से टैगोर की बहुमुखी प्रतिभा को श्रृद्धांजलि के मद्देनज़र या तो कोई कवि, अथवा लेखक, आवासी कलाकार होता है। अन्य अध्येता भारत से बाहर का विद्वान होता है। ये सभी अध्येता टैगोर फैलोज के नाम से जाने जाते हैं।

· इस केन्द्र के अंतर्गत टैगोर से संबद्ध किसी विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक व्याख्यान का आयोजन किया जाना प्रस्तावित है जो संभवतः टीका संबंधी प्रकृति का न होकर मगर मूल वचनबद्धता से संबद्ध होगा जैसा कि दूरदर्शिता के अभिलेख में निहित है।

· हर वैकल्पिक वर्ष के दौरान टैगोर के कार्यों से संबंधित एक अध्ययन सप्ताह का आयोजन किया जाना भी प्रस्तावित है।

· संभवतः हर वैकल्पिक वर्ष के दौरान कला शिविर भी लगाया जा सकता है।

· एक वार्षिक व्याख्यान भी आयोजित किया जाएगा।

9. अध्येतावृति के नियम और शर्तें

अध्येताओं को 1 मार्च से 15 दिसंबर तक संस्थान में रहना होता है । सर्दियों के महीनों के दौरान संस्थान में उनका रहना वैकल्पिक होगा। अध्येतावृति का कार्यकाल पूरा होने पर अध्येताओं द्वारा जमा किए जाने वाले मोनोग्राफ का मूल्यांकन संस्थान द्वारा करवाया जाएगा और उसके प्रकाशन या सह-प्रकाशन पर भी संस्थान द्वारा ही विचार करेगा। संस्थान के पास प्रकाशन का पहला अधिकार होगा और संस्थान ही किसी अध्येता द्वारा जमा किए गए मोनोग्राफ के कॉपीराइट को साझा करेगा। अध्येतावृति के नियमों व शर्तों की एक विस्तृत सूची संस्थान की वेबसाइट: www.iias.ac.in पर उपलब्ध है।

अध्येतावृति ग्रहण करने से पूर्व, अध्येता को संस्थान में लागू अध्येतावृति के नियमों व शर्तों के बारे में जारी उपक्रम पर हस्ताक्षर करने होंगे।