Date/Time
Date(s) - 14/07/2022
3:00 pm - 5:00 pm
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Seminar Hall
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शोध विषयः लीला चरित्रः शोध एवम संपादन
भारत वर्ष में हिंदु धर्मा अंतर्गत जो सम्प्रदाय हैं उन में महानुभाव तथा जयकृष्णि एक महत्त्वपूर्ण सम्प्रदाय हैं। मराठी, संस्कृत, हिंदी भाषाओं में इस सम्प्रदाय के साहित्य की उपलब्धी है। कुछ 200
सालों से पंजाब, तेलुगु , गुजराती भाषाओं में भी महानुभावों का साहित्य प्राकशित हो रहा है। लीला चरित्र ग्रन्थ में इस सम्प्रदाय के संस्थापक स्वामी श्री चक्रधर जी इनकी जीवनी
अक्षरांकित की गई है। आठ सौ साल पूर्व (शक् 1200) श्री म्हाइंभट जी ने इस ग्रंथ को रचा है। यह गद्य रूप ग्रन्थ है। महाराष्ट्र एवं महाराष्ट्र के सर्व दूर प्रदेशों के महानुभाव मठ, मंदिरों तथा आश्रमों में इस ग्रंथ लीला चरित्र के पंडुलिपियों की उपलब्धी है। इन्हीं उपलब्धी के आधार पर इस ग्रंथ का संशोधन एवम् संपादन का कार्य आर ंभ किया है। हमंे जो हस्तलिखित पोथीयां उपलब्ध हुआ है वह अनेक दृष्टि से परिपूर्ण तथा अपूर्व हैं। यह ग्रन्थपूर्वार्ध और उत्तरार्ध इन दो में प्रकाशित होगा। लीला चरित्र यह केवल आत्म कथन या आत्म चरित्र ही नहीं अपितु महाराष्ट्र के संस्कृति,
इतिहास, धर्म, दर्शन, लोक जीवन को सही मायने में प्रस्तुत करने वाला एक मराठी भाषा का सर्वोत्तम ग्रन्थ है। भिल्लम, सि ंघण, कान्हरदेव, आमणद ेव, रामदेव इन यादवों का राज्य प्रशासनिक
व्यवस्था पर तथा महाराष्ट्र से जुडे़ हुए गुजरात, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के राजकीय एवंम् सांस्कृतिक संबधों पर विशेष रूप से प्रकाश डालता है।
लीला चरित्र एक दर्शन शास्त्र का भी रूप है। वेदान्त, बौद्ध, जैन तथा इतर अनेक सम्प्रदायों के दर्शनों की तुलना भी इस ग्रंथ में चर्चि त है। स्वामी श्री चक्रधर जी का द्वैत वाद
भारतीय दर्शनों में अपना एक अलग स्थान निर्माण करता है।
यह ग्रंथ का संपादन भाषा, साहित्य, इतिहास, संस्कृति, राज्य प्रशासन, दर्शन इत्यादि शास्त्रों का अध्ययन करने वाले अभ्यासकों के लिए अधिक उपयुक्त होगा।
परिचय- प्रो. रमेश आवलगांवकर
- 23 वर्ष स्नातक एवम् स्नातकोत्तर विभाग में अध्यापन।
- 16 वर्ष प्रधान अध्यापक के रूप में सेवा।
- 18 छात्रों को पीएच.डी. के लिए मार्गदर्शन, पुणे विश्वविद्यालय से छात्रों को पदवी प्रदान।
- 13 छात्रों को एम. फिल के लिए मार्गदर्शन पुणे विश्वविद्यालय से पदवी प्रदान।
- महाराष्ट्र के कई विश्वविद्यालय तथा महाराष्ट्र के बाहर कई विश्वविद्यालयों में पीएच.डी.
- एम. फिल का बहिःस्थ परीक्षक के रूप में।
- मध्ययुगीन मराठी साहित्य पर 11 पुस्तकें प्रकाशित।
- यू. जी. सी. करीयर आवाॅर्ड, मेजर रीसर्च प्रोजेक्ट पूर्ण।
- 100 से अधिक शोध पत्र विद्व्त मान्य पत्रिकाओं में प्रकाशित।
- ज्ञान मोचक पत्रिका का संपादक।